पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (84) का सोमवार को निधन हो गया। वे बीते 10 अगस्त से दिल्ली के आर्मी रिसर्च एंड रेफरल (आर एंड आर) हॉस्पिटल में भर्ती थे। प्रणव मुखर्जी का काशी हिंदू विश्वविद्यालय और काशी विद्यापीट से गहरा नाता रहा है। साल 2012 से 2016 तक वे तीन बार काशी आए थे। दिल्ली में निर्भयाकांड के महज 8 दिन बाद काशी आए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने बीएचयू के स्वतंत्रता भवन से कहा था कि देश के युवा अपनी भावनाओं पर काबू रखें। घटना से हर कोई दुखी है पर धैर्य नहीं खोना चाहिए।
काशी में प्रणव दा ने युवाओं को रिसर्च के लिए किया था प्रेरित
- पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी साल 2012 में 25 दिसंबर को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के विशेष दीक्षांत समारोह में पहुंचे थे। उस समय प्रणबदा ने देश के युवाओं को सलाह दी थी कि वो अपनी भावनाओं पर काबू रखें।दिल्ली में हुई निर्भया कांड से पूरा देश मर्माहत है। इस घटना को लेकर पहले कह दिया है कि कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मैं उस परिवार के साथ हूं, जो विपरीत परिस्थियों में लड़ रहा है। प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि मालवीय जी हमेशा नैतिक मूल्यों की लड़ाई लड़ते रहे हैं।
- इसके बाद साल पूर्व राष्ट्रपति 2014 में 29 नवंबर को काशी विद्यापीठ आए थे। राष्ट्रपति इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसायटी की तरफ से 40वां अधिवेशन आयोजित किया गया था। उन्होंने विकास, विविधता और लोकतंत्र’ पर भाषण दिया था। कहा था कि भूटान जैसे देश विकास को खुशहाली और संतोष से जोड़ रहे हैं। हमें भी ऐसा ही करना होगा। जब तक समाज के अंतिम व्यक्ति के जीवन में खुशहाली नहीं आती, तब तक विकास नही होता है। कोशिश उस व्यक्ति तक भोजन पहुंचाने की होनी चाहिए जो भूखा सो रहा है।
- 12 मई 2016 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी बीएचयू शताब्दी वर्ष कार्यक्रम में शामिल हुए थे। तब उन्होंने कहा था कि हमें शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने की जरूरत है। ऐसा तब होगा जब रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगा। रिसर्च अधिक और तथ्यों पर हों तो ही हम अपने देश को उच्च स्तर तक ले जाने में कामयाब होंगे। कहा था कि दुनिया में कॉम्पटीशन बहुत अधिक है और हमें खुद को इसके लिए तैयार करना होगा। शताब्दी वर्ष के मौके पर 10 रुपए और 100 रुपए का स्मृति सिक्का भी उन्होंने राज्यपाल के साथ मिलकर जारी किया था।
प्रणवदा ने बांके बिहारी मंदिर में किया था दर्शन-पूजन
यूं तो राष्ट्रपति पद पर रहते हुए प्रणव मुखर्जी का दो बार वृंदावन आगमन हुआ। लेकिन उससे पूर्व भी वे दो बार धार्मिक नगरी का दौरा कर चुके थे। पहली बार श्री जगदबन्धु आश्रम के लोकार्पण समारोह में आने के बाद दूसरी बार श्री रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम अस्पताल के नवनिर्मित ऑपरेशन थियेटर का उन्होंने उद्घाटन किया था। सामाजिक संस्था अक्षय पात्र में प्रस्तावित विशाल चन्द्रोदय मन्दिर के शिलान्यास समारोह के लिए साल 2014 में उन्हें आमंत्रित किया या तो उन्होंने इसे सहर्ष स्वीकार कर लिया था। उस साल उन्होंने 16 नवंबर को बांके बिहारी मंदिर में दर्शन पूजन किया था।
बांके बिहारी मंदिर के सेवायत गोपी गोस्वामी बताते हैं कि बाँकेबिहारी के दर्शनों के दौरान उनकी भावाभिव्यक्ति अवर्णनीय थी। जिस श्रद्धा भक्ति के साथ ठाकुर जी के दर्शन किए, वह उनके अत्यंत कृष्ण प्रेम को दर्शाता है। उसके ठीक एक साल के अंदर एक बार फिर कान्हा की नगरी से दादा को आमंत्रण मिला तो वे तत्काल तैयार हो गए। श्री चैतन्य महाप्रभु के वृन्दावन आगमन के 500 वर्ष पूर्ण होने पर श्री राधारमण मन्दिर के सेवायत पद्मनाभ गोस्वामी ने उनको पश्चिमबंगाल व वृन्दावन के पूर्व सम्बंध के विषय में जानकारी दी तो दादा अभिभूत हो गए। 18 नवंबर 2015 को श्री मुखर्जी फिर वृन्दावन की पवित्र भूमि पर थे। दादा ने गोपीनाथ बाजार स्थित श्री गौर निताई मन्दिर व प्राचीन राधारमण मन्दिर के दर्शन किए थे।
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