6 दिसंबर 1992 को बाबरी विध्वंस मामले में दो एफआईआर दर्ज की गई थीं, इनमें से एक केस अज्ञात लोगों के खिलाफ था। दूसरी एफआईआर में 8 लोगों के नाम थे, इनमें से तीन लोगों की मौत हो चुकी है। पूरे केस को देखें तो मामले में 48 आरोपी बनाए गए थे, जिसमें से 16 की मौत हो चुकी है।

बाकी 32 लोगों में लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा प्रमुख हैं। इन छह नेताओं के ही इर्द-गिर्द पूरा राम मंदिर आंदोलन चल रहा था। कोई मंच का संचालन कर रहा था तो कोई अपने भाषणों से भीड़ को उकसा रहा था। आडवाणी ने विवादित ढांचे के फेरे भी लगाए थे।

क्या कहते हैं प्रत्यक्षदर्शी
अयोध्या के स्थानीय पत्रकार वीएन दास कहते हैं कि 6 दिसंबर को इन लोगों ने मंच लगाया, सभा बुलाई। ज्यादातर पत्रकारों का ध्यान वहां पर था, जहां कारसेवा होनी थी। जब ये मंच से कारसेवकों से कह रहे थे कि केवल चौखट की साफ-सफाई करके वापस जाना है तो कारसेवक भड़क गए।

कारसेवकों का कहना था कि इतनी दूर से हम साफ-सफाई करने आए हैं क्या? उसी के बाद कारसेवकों ने विवादित ढांचा तोड़ दिया। रात 9 बजे तक दुर्गा वाहिनी की महिलाओं के सहयोग से अस्थाई मंदिर भी तैयार कर दिया गया। हालांकि, जिस स्तर पर विवादित ढांचा गिराया गया, उसका गुमान शायद वहां बैठे बड़े नेताओं को भी नहीं रहा होगा।



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Babri Demolition Case: Then and Now Condition Of Lal Krishna Advani, Uma Bharti, Kalyan Singh and Murli Manohar Joshi


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