उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में 65% ग्रामीण आबादी वाली विधानसभा सीट पर शहरी और ग्रामीण वोटर के वोटिंग पैटर्न में बहुत अंतर नहीं है। पिछले चुनावी नतीजों को देखे तो यहां मुद्दों से ज्यादा जातीय समीकरण मायने रखते हैं। 1 लाख से ज्यादा मुस्लिम वोट और 40 हजार जाटव वोट को देखते हुए मजबूत स्थिति में दिख रही बसपा राज्यसभा चुनावों को लेकर मायावती के बयान कि "हम एमएलसी चुनावों में भाजपा को सपोर्ट करेंगे" के बाद स्थिति कमजोर होती दिख रही है। आपको बता दें कि इस सीट पर 3 नवम्बर को उपचुनाव होना है।

इस वजह से भी कमजोर पड़ रही है बसपा

बुलंदशहर सीट पर बसपा ने हाजी यूनुस को मैदान में उतारा है। बसपा कैंडिडेट के हिसाब से जातीय समीकरण भी फिट बैठते हैं लेकिन बसपा की दावेदारी को कहीं न कहीं ओवैसी और चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी कमजोर कर रही है। दरअसल, एआईएमआईएम और आजाद समाज पार्टी ने अपना कैंडिडेट भी मुस्लिम ही उतारा है। जोकि क्षेत्र में भीम और मीम दोनों ही वोट काटने में सक्षम हैं। साथ ही रही सही कसर सपा को सबक सिखाने के चक्कर मे मायावती के भाजपा के सपोर्ट करने वाले बयान ने कर दिया है।

क्षेत्र में चर्चा, जाटों को खुश करने के लिए रालोद ने जाट प्रत्याशी उतारा

यूपी में 7 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। बुलंदशहर सीट पर सपा और रालोद का गठबंधन हुआ है। इसलिए इस सीट पर रालोद ने अपना प्रत्याशी उतारा है। कैंडिडेट प्रवीण तेवतिया है जोकि मथुरा में रालोद से ही चुनाव लड़कर हार चुके हैं। क्षेत्र में चर्चा है कि अजीत सिंह से जाट नाराज हैं। उनकी नाराजगी को ध्यान में रखते हुए बाहरी जाट कैंडिडेट को मैदान में उतारा गया है। यही नहीं चर्चा है कि सपा चाहती थी कि यहां मुस्लिम कैंडिडेट को उतारा जाए लेकिन रालोद जाटों पर ही टिकी रही। क्षेत्र में लगभग 40 हजार से ज्यादा जाट वोट हैं।

कांग्रेस के दिग्गज कर रहे हैं यहां प्रचार, फिर भी लड़ाई से है बाहर

कांग्रेस ने सुशील चौधरी को यहां मैदान में उतारा है। सुशील भी जाट समाज से हैं। सुशील के समर्थन में प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू से लेकर राजस्थान के सचिन पायलट प्रचार कर रहे हैं। लेकिन स्थानीय जानकर बताते हैं कि कांग्रेस का कोई बहुत प्रभाव इस सीट पर नहीं है। दरअसल, कांग्रेस भी मुस्लिम और जाट वोटों के साथ दलित वोटों के ही भरोसे है। जोकि उसे पूरे मिलने नहीं हैं। साथ ही प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। इसलिए यहां जनता कांग्रेस को लड़ाई से बाहर मान कर चल रही है।

यूपी में इकलौती सीट पर पहला चुनाव लड़ रही है रावण की पार्टी, फिर भी बोला जा रहा है वोटकटवा

चंद्रशेखर रावण की हाल ही में बनाई गई आजाद समाज पार्टी यूपी में इस उपचुनाव में पहला चुनाव इसी सीट पर लड़ रही है। पार्टी ने यहां हाजी यामीन को उतारा है। हालांकि पहला चुनाव होने की वजह से चंद्रशेखर लगातार प्रचार कर रहे हैं। वह युवाओं को अपने साथ लाना चाह रहे हैं लेकिन जानकारों का कहना है कि जातीय बेड़ियों में जकड़ी यह सीट बहुत मुश्किल है कि चंद्रशेखर की पार्टी के साथ जाएगी। इन सबके बावजूद आजाद समाज पार्टी का कैंडिडेट बसपा के वोट बैंक में जरूर सेंध लगाएगा। यही वजह है कि रावण की पार्टी कैंडिडेट को वोटकटवा कहा जा रहा है।

सहानुभूति वोटबैंक के भरोसे भाजपा

2017 में बुलंदशहर विधानसभा सीट से वीरेंद्र सिरोही जीते थे। उनके आकस्मिक निधन के बाद खाली हुई सीट पर भाजपा ने उनकी पत्नी उषा सिरोही को उतारा है। जिन्हें सहानुभूति वोट मिलेंगे। फिलहाल सभी कैंडिडेट्स में भाजपा मजबूत नजर आ रही है। जानकारों का कहना है कि 2017 में भाजपा के साथ ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य वोट बैंक था। लगभग यही समीकरण अभी भी भाजपा के साथ है। साथ ही क्षेत्र में लगभग 25 से 30 हजार लोधी वोट है। जिन पर अभी भी पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का प्रभाव है। जिससे कुछ हद तक यह वोट भी भाजपा के पाले में जा सकते हैं। वहीं तीन मुस्लिम प्रत्याशी के उतरने से मुस्लिम वोटों के बंटने का खतरा है। जिसका फायदा भी भाजपा को मिलेगा।

कौन किस पार्टी से है प्रत्याशी

बुलंदशहर सदर सीट से भाजपा से उषा सिरोही, बसपा से हाजी यूनुस जोकि दिल्ली से सांसद का चुनाव लड़ चुके हैं। जबकि रालोद-सपा गठबंधन से प्रवीण कुमार तेवतिया है जोकि मथुरा के रहने वाले हैं। कांग्रेस से सुशील चौधरी और आजाद समाज पार्टी जोकि भीम आर्मी वाले चंद्रशेखर रावण की पार्टी है से हाजी यामीन है। वहीं एआईएमआईएम से दिलशाद प्रत्याशी हैं।

ऐसा है जातीय समीकरण

बुलंदशहर सीट पर कहा जाता है कि जिसके साथ मुस्लिम और दलित हो उसकी जीत पक्की होती है लेकिन ये वोट बंटने पर जीतने की गारंटी भी खत्म होती है। आइए देखते है कि बुलंदशहर सीट पर कैसा है जातीय आंकड़ा। इस सीट पर कुल 3 लाख 88 हज़ार मतदाता हैं। जिसमे लगभग 1 लाख 15 हजार मुस्लिम, 60 हज़ार दलित, जिनमें जाटव करीब 40 हज़ार हैं। जबकि 40 हज़ार जाट, 35 हजार ब्राह्मण, 20 हज़ार ठाकुर, 20 हज़ार वैश्य, 25 हज़ार लोधी राजपूत, 10 हज़ार सैनी एंव प्रजापति और बाकी अन्य जातियां हैं।

इस सीट से जीतकर मुख्यमंत्री बने थे बाबू बनारसी दास

यूपी के मुख्यमंत्री बाबू बनारसी दास पहले विधानसभा चुनावों में बुलंदशहर सीट पर निर्विरोध चुने गए थे। यहां से 4 बार कांग्रेस जीती है। लेकिन 9वीं विधानसभा के बाद से कांग्रेस यहां अपना परचम नही लहरा सकी है। बाहुबली डीपी यादव भी इस सीट पर तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं। बसपा भी 2 बार यहां से चुनाव जीत चुकी है जबकि भाजपा 2017 में तीसरी बार जीती थी।



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यूपी में बुलंदशहर सदर सीट पर तीन नवम्बर को मतदान होना है। यहां सभी दलों ने प्रचार में अपनी ताकत झोंक दी है।


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