कार्तिक पूर्णिमा खास मौका है और दोपहर के 12 बज रहे हैं... काशी में घाटों पर फूल-माला और पूजन सामग्री बेचने वाले गंगा किनारे बैठे हैं। गंगा नदी की लहरों के बीच नाव हिलोरे ले रही हैं, लेकिन उसमें पर्यटक नहीं हैं। जिस तरफ नजर उठाइए, आम श्रद्धालुओं से ज्यादा कंधे पर बंदूक टांगे खाकी वर्दीधारी ज्यादा नजर आ रहे हैं। PM की सुरक्षा के लिए 6 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। कहीं टीवी वाले माइक लिए PM नरेंद्र मोदी का कार्तिक पूर्णिमा पर पहली बार काशी आगमन और देव दीपावली की भव्यता पर लोगों से बात कर रहे हैं तो कहीं साफ-सफाई का काम चल रहा है।

अर्धचंद्राकार में बने 84 घाटों पर जो चंद पर्यटक स्नान-दान करने पहुंचे थे, उन्हें सुरक्षा के कारणों से बड़ी मुश्किल हो रही है। पिछले साल दोपहर तक एक बजे तक 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने स्नान किया था, लेकिन इस बार 40 फीसदी पर्यटक घट गए हैं। लिहाजा दशाश्वमेघ, चेतगंज किला आदि घाटों पर रोज की बिक्री पर जीने वाले दुकानदारों बड़ा नुकसान हुआ है। इसके पीछे PM का आगमन और कोरोना का संक्रमण बताया जा रहा है।

पूजा सामग्री बेचने वालों की दुकान पर पसरा सन्नाटा।

रानी अहिल्याबाई के समय शुरू हुआ था दीपोत्सव कार्यक्रम

वाराणसी में देव दीपावली का पर्व का पौराणिक महत्व है। रानी अहिल्या बाई के समय पंच गंगा घाट से दीपोत्सव कार्यक्रम की शुरूआत हुई थी। इसका भव्य रूप 1990 से गंगा सेवा निधि के संस्थापक पंडित सतेंद्र मिश्रा ने दशाश्वमेध घाट से गंगा आरती को प्रारंभ कर किया था। उस समय 5 ब्राह्मण देव दीपावली के दिन गंगा आरती करते थे। गंगा सेवा निधि के सचिव सुरजीत कुमार सिंह ने अब 21 ब्राह्मण गंगा आरती करते हैं। कोविड 19 के चलते इस बार पर्यटकों की 40 प्रतिशत तक संख्या कम है।

भव्यता के साथ इस बार दुनिया काशी की दिव्यता देखेगी

देव दीपावली पर्व पर प्रधानमंत्री पहली बार काशी आ रहे हैं। इसलिए कार्यक्रम को भव्य रूप दिया गया है। जहां पिछले साल 10 लाख दीप जले थे, वहीं इस बार 15 लाख दिये जलाए जाएंगे। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रो. डॉ. राजा पाठक ने बताया कि काशी की देव दीपावली भव्य हर बार होती थी। इस बार भव्यता के साथ दिव्यता भी नजर आ रही है। आध्यात्मिकता के साथ साथ शाम को अलौकिक छटा भी देखने को मिलेगी। दुनिया नए रूप में देव दीपावली को देखेगी।

तीर्थ पुरोहितों के तख्त पर बैठे पुलिसकर्मी।

पर्यटक, फूल बेचने वाले और तीर्थ पुरोहितों ने क्या कहा?

  • दशाश्वमेघ घाट पर फूल-माला और पूजन सामग्री बेचने वाले संजय ने बताया कि पिछली बार सुबह 11 बजे तक 3000 रुपए के सामानों की बिक्री हो गयी थी। इस बार 300 रुपए भी नही कमा पाया हूं।
  • प्रसाद बेचने वाले सोनू ने बताया कि कोविड और पीएम के कार्यक्रम की वजह से पर्यटक न के बराबर हैं। नाविक मोनू मांझी ने बताया कि नावों की बुकिंग कैंसिल हो गयी है। आम दिनों में 5000 का किराया निकल आता था। लेकिन आज 2500 रुपये की बुकिंग मिलना मुश्किल है। बाहरी पर्यटक बहुत कम आए हैं। पूर्णिमा के स्नान में भी भीड़ कम थी।
  • तीर्थ पुरोहित पुरुषोत्तम मिश्रा ने बताया कि कोरोना ने पहले ही हालत खराब कर रखी है। पीएम के कार्यक्रम की वजह से भी लोग घाटों पर आने से कतरा रहे हैं। दर्शनार्थियों से ज्यादा पुलिसकर्मी दिखाई पड़ रहे हैं। तीर्थ पुरोहित अरविंद पांडेय ने बताया की कार्तिक पूर्णिमा पर जजमान बहुत मिलते थे। इस बार दर्शनार्थियों में भारी कमी है।
  • बरेली से आए पर्यटक मनोज कुलकर्णी ने बताया कि घाट तक पहुंचने में काफी दिक्कत हुई है। जगह-जगह फोर्स लगी है। गाड़ी पहले ही रोक दिया गया। एक किमी पैदल चलना पड़ा। घाटों पर जिस तरह से फोर्स मौजूद है, शाम को परिवार संग आना मुश्किल है।


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यह फोटो वाराणसी में चेतगंज किला घाट की है। यहां पर्यटकों से ज्यादा खाकीधारी सुरक्षाकर्मी नजर आ रहे हैं।


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