केंद्र सरकार के कृषि बिलों के खिलाफ पंजाब-हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान बीते पांच दिनों से आंदोलित हैं। दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन जारी है। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली मनाने के लिए अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आज पहली बार पहुंचे हैं। PM ने काशी से देश के किसानों को MSP को लेकर चल रहे भ्रम पर सरकार की राय स्पष्ट की। साथ ही विपक्ष पर निशाना भी साधा। कहा कि भ्रम फैलाकर राजनीति करने वाले डर गए हैं। लेकिन अब छल से नहीं गंगाजल जैसी पवित्र नीयत से काम हो रहा है। आइए जानते हैं PM के संबोधन की 10 बड़ी बातें...

क्रूज में सवार होते पीएम और सीएम।

कनेक्टिविटी के विस्तार से किसानों को मिलता है लाभ

  • बीते वर्षों में काशी के सौंदर्यीकरण के साथ-साथ यहां की कनेक्टिविटी पर जो काम हुआ है, उसका लाभ अब आप सभी देख रहे हैं। नए हाईवे हो, पुल-फ्लाईओवर हो, ट्रैफिक जाम कम करने के लिए रास्तों को चौड़ा करना हो, जितना काम बनारस और आसपास में अभी हो रहा है, उतना आजादी के बाद कभी नहीं हुआ। जब किसी क्षेत्र में आधुनिक कनेक्टिविटी का विस्तार होता है, तो इसका बहुत लाभ हमारे किसानों को होता है। बीते वर्षों में ये प्रयास हुआ है कि गांवों में आधुनिक सड़कों के साथ भंडारण, कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्थाएं खड़ी की जाएं। इसके लिए 1 लाख करोड़ रुपए का फंड भी बनाया गया है।
  • चंदौली के किसानों की आय को बढ़ाने के लिए 2 साल पहले काले चावल की एक वैरायटी का प्रयोग यहां किया गया था। पिछले साल खरीफ के सीजन में करीब 400 किसानों को ये चावल उगाने के लिए दिया गया। इन किसानों की एक समिति बनाई गई, इसके लिए मार्केट तलाश किया गया। सरकार के प्रयासों औऱ आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से किसानों को कितना लाभ हो रहा है, इसका एक बेहतरीन उदाहरण चंदौली का काला चावल-ब्लैक राइस है। ये चावल चंदौली के किसानों के घरों में समृद्धि लेकर आ रहा है। सामान्य चावल जहां 35-40 रुपए किलो के हिसाब से बिकता है, वहीं ये बेहतरीन चावल 300 रुपए तक बिक रहा है। बड़ी बात ये भी है कि ब्लैक राइस को विदेशी बाजार भी मिल गया है। पहली बार ऑस्ट्रेलिया को ये चावल निर्यात हुआ है, वो भी करीब साढ़े 800 रुपए किलो के हिसाब से।

किसानों को नए विकल्प मिले तो कानूनी संरक्षण भी
भारत के कृषि उत्पाद पूरी दुनिया में मशहूर हैं। क्या किसान की इस बड़े मार्केट और ज्यादा दाम तक पहुंच नहीं होनी चाहिए? अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेनदेन ही ठीक समझता है तो, उस पर भी कहां रोक लगाई गई है? नए कृषि सुधारों से किसानों को नए विकल्प और नए कानूनी संरक्षण दिए गए हैं। पहले मंडी के बाहर हुए लेनदेन ही गैरकानूनी थे। अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्यवाही कर सकता है। किसान को अब नए विकल्प भी मिले हैं और धोखे से कानूनी संरक्षण भी मिला है।

अब विरोध का आधार आशंकाओं को बनाया जा रहा

  • सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाती हैं। नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है तो कुछ सवाल भी स्वभाविक ही है। ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में ये जीवंत परंपरा रही है। लेकिन पिछले कुछ समय से एक अलग ही ट्रेंड देश में देखने को मिल रहा है। पहले होता ये था कि सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था। लेकिन बीते कुछ समय से हम देख रहे हैं कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि आशंकाओं को बनाया जा रहा है। अप-प्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन इससे आगे चलकर ऐसा हो सकता है। जो अभी हुआ ही नहीं, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है। कृषि सुधारों के मामले में भी यही हो रहा है। ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है।
  • MSP तो घोषित होता था लेकिन MSP पर खरीद बहुत कम की जाती थी। सालों तक MSP को लेकर छल किया गया। किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्जमाफी के पैकेज घोषित किए जाते थे। लेकिन छोटे और सीमांत किसानों तक ये पहुंचते ही नहीं थे। यानि कर्जमाफी को लेकर भी छल किया गया। जब इतिहास छल का रहा हो, तब 2 बातें स्वभाविक हैं। पहली ये कि किसान अगर सरकारों की बातों से कई बार आशंकित रहता है तो उसके पीछे दशकों का इतिहास है। दूसरी ये कि जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया, उनके लिए ये झूठ फैलाना मजबूरी बन चुका है कि जो पहले होता था, वही अब भी होने वाला है।

कागजों पर पूरा नहीं किया वादा, किसानों के खाते तक पहुंचाया पैसा

  • जब इस सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड देखेंगे तो सच अपने आप सामने आ जाएगा। हमने कहा था कि हम यूरिया की कालाबाजारी रोकेंगे और किसान को पर्याप्त यूरिया देंगे। बीते 6 साल में यूरिया की कमी नहीं होने दी। यहां तक कि लॉकडाउन तक में जब हर गतिविधि बंद थी, तब भी दिक्कत नहीं आने दी गई। हमने वादा किया था कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुकूल लागत का डेढ़ गुणा MSP देंगे। ये वादा सिर्फ कागजों पर ही पूरा नहीं किया गया, बल्कि किसानों के बैंक खाते तक पहुंचाया है।
  • सिर्फ दाल की ही बात करें तो 2014 से पहले के 5 सालों में लगभग साढ़े 6 सौ करोड़ रुपए की ही दाल किसान से खरीदी गईं। लेकिन इसके बाद के 5 सालों में हमने लगभग 49 हजार करोड़ रुपए की दालें खरीदी हैं, यानि लगभग 75 गुणा बढ़ोतरी। 2014 से पहले के 5 सालों में पहले की सरकार ने 2 लाख करोड़ रुपए का धान खरीदा था। लेकिन इसके बाद के 5 सालों में 5 लाख करोड़ रुपए धान के MSP के रूप में किसानों तक हमने पहुंचाए हैं। यानि लगभग ढाई गुणा ज्यादा पैसा किसान के पास पहुंचा है।
  • 2014 से पहले के 5 सालों में गेहूं की खरीद पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए के आसपास ही किसानों को मिला। वहीं हमारे 5 सालों में 3 लाख करोड़ रुपए गेहूं किसानों को मिल चुका है यानि लगभग 2 गुणा। अब आप ही बताइए कि अगर मंडियों और MSP को ही हटाना था, तो इनको ताकत देने, इन पर इतना निवेश ही क्यों करते? हमारी सरकार तो मंडियों को आधुनिक बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है।
वाराणसी में क्रूज में सवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व सीएम योगी आदित्यनाथ।

छलावा किसानों को आशंकित करती हैं

आपको याद रखना है, यही लोग हैं जो पीएम किसान सम्मान निधि को लेकर ये लोग सवाल उठाते थे। ये लोग अफवाह फैलाते थे कि चुनाव को देखते हुए ये पैसा दिया जा रहा है और चुनाव के बाद यही पैसा ब्याज सहित वापस देना पड़ेगा। एक राज्य में तो वहां की सरकार, अपने राजनीतिक स्वार्थ के चलते आज भी किसानों को इस योजना का लाभ नहीं लेने दे रही है। देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधी मदद दी जा रही है। अब तक लगभग 1 लाख करोड़ रुपए किसानों तक पहुंच भी चुका है।

आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई लगातार देश के सामने आ रही है। जब एक विषय पर इनका झूठ किसान समझ जाते हैं, तो ये दूसरे विषय पर झूठ फैलाने लगते हैं। मुझे एहसास है कि दशकों का छलावा किसानों को आशंकित करता है। लेकिन अब छल से नहीं गंगाजल जैसी पवित्र नीयत के साथ काम किया जा रहा है। जिन किसान परिवारों की अभी भी कुछ चिंताएं हैं, कुछ सवाल हैं, तो उनका जवाब भी सरकार निरंतर दे रही है। मुझे विश्वास है, आज जिन किसानों को कृषि सुधारों पर कुछ शंकाएं हैं, वो भी भविष्य में इन कृषि सुधारों का लाभ उठाकर, अपनी आय बढ़ाएंगे।

विपक्ष ने BJP सरकार पर किया पलटवार

सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा कि BJP को किसानों से कोई मतलब नहीं है। अगर BJP को किसानों से कोई मतलब होता है तो उनके अगेंस्ट में बिल क्यों लेकर आती? उनको किसान से बात नहीं करनी है, उनको धन्नासेठों की मदद करनी है। प्रभु राम भारतीय जनता पार्टी से बहुत ही नाराज हैं, क्योंकि जो देश का पेट भरता है, वह किसान मजबूर है, बच्चे परेशान हैं, बेरोजगार से परेशान हैं। बच्चियों के साथ अपराध हो रहा और इन सब की इनकी जिम्मेदारी होती है। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी भूल गई है, आत्मा ही परमात्मा है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि, यह किसानों से दूरी बनाना भारतीय जनता पार्टी और उनकी सरकार का नेतृत्व करने वाले प्रधानमंत्री मोदी के लिए मजबूरी बन गई है। क्योंकि वह जो बिल लेकर आए हैं, वह किसानों के लिए हित में नही है। इसलिए देश के प्रधानमंत्री किसानों की बात करने 900 किलोमीटर दूर वाराणसी पहुंच गए, जो किसान अपनी मांगों और बिल के खिलाफ देशभर से इकट्ठा होकर दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचे हैं, उनसे दिल्ली में ही बात की जा सकती थी। आखिर प्रधानमंत्री किसानों के लिए कब सोचेंगे? कब देश के अन्नदाता की मांगों को माना जाएगा?

यह फोटो दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर की है। यहां केंद्र के कृषि बिल के खिलाफ किसान आंदोलनरत हैं।


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यह फोटो वाराणसी की है। यहां खजुरी में प्रधानमंत्री ने जनसभा की और विपक्ष पर जमकर बरसे।


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