उत्तर प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा परिषद ने 15 से 25 जनवरी 2021 के बीच हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की प्री-बोर्ड परीक्षाएं कराने का ऐलान किया है। बोर्ड परीक्षा के लिए एप्लीकेशन फार्म भरने की आखिरी तारीख 5 जनवरी है। इससे छात्रों की चिंता बढ़ गई है। छात्रों का कहना है कि कोरोना संकट काल में काफी दिनों तक स्कूल बंद रहे। सरकार जब ऑनलाइन शिक्षा लेकर आई तो स्थिति ये हुई कि जिन छात्रों के पास संसाधन थे वे तो पढ़ सके। लेकिन जिनके पास मोबाइल व इंटरनेट की सुविधा नहीं है, वे पढ़ाई से वंचित रह गए। तमाम अभिभावकों के पास रिचार्ज के पैसे नहीं हैं। ऐसे में छात्र भविष्य को लेकर चिंतित हैं। दैनिक भास्कर ने अमेठी में छात्रों से बात की, एक रिपोर्ट...

हाईस्कूल के छात्रों ने कहा- तैयारी नहीं पूरी, कैसे देंगे परीक्षा

  • अमेठी तहसील के रामनगर की रहने वाली छात्रा कृति यादव ने कहा, लॉकडाउन में सरकार ने बोल दिया कि बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई करें। बच्चे ऑनलाइन कहां से पढ़े? जब उनके पास फोन नहीं है। मैं चाहती हूं सरकार अगर चाहती है कि बच्चे भविष्य में आगे बढ़ें तो उनके लिए सारी सुविधाएं करे। गरीब बच्चों को फोन फ्री में दे, ताकि वो पढ़ सकें। स्कूल जब खुले तो वहां भी पढ़ाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई है।
  • जंगल रामनगर गांव निवासी छात्र मनीष मौर्या ने बताया कि हमारे पास इतना पैसा भी नहीं है कि हम फोन लेकर पढ़ाई कर सकें। अब सिर पर परीक्षा आ गई है। लॉकडाउन में न स्कूल खुला न कोचिंग। किताब की दुकान तक बंद थी तो हम पढ़ाई कर ही नहीं पाए। सरकार से हमारी मांग है कि हमें टाइम दे, ताकि हम सब पढ़ाई कर सकें।
  • कटरा रामनगर की निवासी छात्रा आरती मौर्य ने बताया कि मैं ऑनलाइन नहीं पढ़ सकी। कारण एक ही मोबाइल था, वो मेरे भाई लिए थे। उसमे नेट रिचार्ज का पैसा भी नहीं था। सरकार पहले पाठ्यक्रम की पूरी पढ़ाई करे, फिर परीक्षा हो।
  • जंगल रामनगर गांव निवासी अजय यादव ने बताया कि मेरे पास मोबाइल नहीं है। मेरे पिता के पास भी मोबाइल नहीं है। इसलिए ऑनलाइन पढ़ाई कर सका। दूसरों से किताबें मांगकर पढ़ाई की है। सरकार मोबाइल मुहैया कराए, ताकि हम ऑनलाइन पढ़ाई कर सकें।

प्रश्न पत्र में सेलेक्टेड पाठ से ही पूछे जाएं सवाल
रिटायर्ड प्रोफेसर डा. अंगद सिंह ने कहा कि इस बार छात्रों के लिए विकट समस्या सामने आई है। सच ये है कोरोना के चलते उनकी पढ़ाई पर ग्रहण लगा है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि परीक्षा में तैयार कराए जा रहे प्रश्न पत्र में सेलेक्टेड पाठ से ही प्रश्न पूछे जाएं। साथ ही प्रश्न पत्र तैयार होकर जांच में जाने के बाद जांच अधिकारी उसे गंभीरता से जांचें कि प्रश्न सिलेबस से बाहर के तो नहीं पूछे गए हैं।

फिर से शुरू हो क्लासेज, मई-जून में हो परीक्षा
सोशल वर्कर अश्विन मिश्रा ने कहा कि सरकार को एसाइनमेंट प्रोजेक्ट देना चाहिए था, उसी आधार पर उनका मूल्यांकन होना चाहिए। पिछले कुछ सालों में प्रदेश के अंदर परीक्षाएं जनवरी-फरवरी में होना शुरू हुई हैं। भारत समेत कई देशों में कोरोना की वैक्सीन आ गई है, कई देशों में तो टीकाकरण शुरू हो गया है। ऐसे में छात्र-छात्राओं को कोविड प्रोटोकॉल के तहत क्लास फिर से शुरू करके मई-जून में परीक्षा कराई जा सकती है।

पिछली परीक्षा के आधार पर ग्रेड मार्क देकर करें प्रमोट
वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक विक्रम सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे इंटरनेट से ऑनलाइन पढ़ने में अभ्यस्त नहीं हैं। गांवों में BSNL का नेटवर्क ठीक नहीं रहता है। प्राइवेट कंपनियों के रिचार्ज भी महंगे हैं, जो निचले वर्ग और मध्यम वर्ग के बच्चों के लिए करा पाना मुमकिन नहीं है। तमाम ऐसे इलाके हैं जहां अब भी 8-10 घंटे बिजली की सप्लाई आ रही है। सरकार को चाहिए की नए साल में कोविड की गाइडलाइन के साथ क्लासेज फिर से शुरू कराए और जून-जुलाई में परीक्षाएं कराए। ताकि छात्रों का भविष्य अंधकार मय होने से बच सके। या फिर सरकार ये फैसला ले कि जिस छात्र का कक्षा 9 में अंकपत्र सही था, उसी आधार पर उसे कक्षा दस में ग्रेड मार्क कर प्रमोट करे।



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यह फोटो अमेठी की है। छात्र मनीष ने कहा- लॉकडाउन में न स्कूल खुले न कोचिंग, किताब की दुकान तक बंद थी। हम पढ़ाई कर ही नहीं पाए। सरकार से हमारी मांग है कि हमें टाइम दे, ताकि हम सब पढ़ाई कर सकें।


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